सावन का महीना
सावन का महीना
कविता
विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर उत्तर प्रदेश
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सावन माह का नाम सुना तो धरा भी खुश हो जाती है।
बगिया की सूखी बेलों पर फिर से अंगड़ाई आती है।।
जहां उदासी छाई थी खुशियों की बहार आ जाती है।
मौसम भी सुहाना हो जाता पवन भी शोर मचाती है।।
धरा प्रफुल्लित हो कर के हरियाली पहन कर आती है।
बगिया में कलियां खिल जातीं पुष्पों की बहारें आती है।।
भांति भांति के पुष्प खिलें अलि भी मंडराने लगते हैं।
मन में मकरन्द की आस लिए गुन- गुन गाने लगते हैं।।
सावन माह देवाधिदेव का सबसे प्यारा महिना है।
पूरे महीने सब भक्तों का आलिंगन भी तो करना है ।।
भक्त भी सारे खुश होकर शिव लिंग की पूजा करते हैं।
भोले बाबा को खुश करके इच्छायें पूरी करते हैं।।
सावन माह में कन्यायें भी खुशियां खूब मनाती हैं।
सखियों के संग झूले में झूम झूम कर गाती हैं।।
दादुर,मोर,पपीहा सावन महीने में खुश रहते हैं।
नदी और तालाब सभी जल से भरे जो रहते हैं।।
भोले बाबा के भक्त बहुत कांवड़ में जल ले जाते हैं।
बम बम भोले का लगा के नारा भोले को नहलाते हैं।।
कृषक भी सावन महीने को खुशियों का माह बताते हैं।
खेतों में अपने नई नई फसलों की पौध लगाते हैं।।
पथिक भी सावन महीने में मन के झूले में झूल रहा।
शीतल, मन्द, सुगन्ध पवन के झोंकों में है झूम रहा।।
Shashank मणि Yadava 'सनम'
09-Jul-2023 09:10 AM
बहुत ही सुंदर और बेहतरीन अभिव्यक्ति
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